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राजभाषा संगोष्ठी-2024

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संगोष्ठी का उद्देश्य  

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहा है। प्राचीन समय में इसे भौतिक विज्ञान के नाम से जाना जाता था एवं उच्च शैक्षिक संस्थानों में छात्र इसे अत्यंत उत्साह से पढ़ते थे। भारतीय पुनर्जागरण के समय (बीसवीं सदी के प्रारंभ) में भारतीय वैज्ञानिकों ने उल्लेखनीय प्रगति की थी। 1947 में देश के आजाद होने के पश्चात संस्थाओं की स्थापना की गई ताकि विज्ञान के क्षेत्र में हुई इस सहज एव रचनात्मक प्रगति को और बढ़ावा मिल सके। इस कार्य में विभिन्न राज्यों ने भी अपना भरपूर सहयोग दिया। इसके बाद से भारत सरकार ने देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की आधुनिक अवसंरचना के निर्माण में कोई कसर नहीं छोड़ी है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

आधुनिक संस्कृति और सभ्यता विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर निर्भर हो गई है क्योंकि यह लोगों की जरूरत और अपेक्षाओं के अनुसार जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ही एक ऐसा क्षेत्र है जो जनहित में संजीवनी का कार्य कर सकती है तथा प्रयोजन के दृष्टिकोण में राष्ट्रीय स्तर पर अन्य क्षेत्रों में प्रौद्योगिकियों का विकास एवं अंतरण करने में हमारे वैज्ञानिकगण निष्ठापूर्वक कार्यरत हैं। भारत को आत्मनिर्भर बनाने में हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अपने दायरे को विस्तारित करने की आवश्यकता है, इसके लिए स्वदेशी संसाधनों का ही उपयोग करते हुए स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इस परिकल्पना के साथ डीएसटी के अंतर्गत आने वाले सभी संस्थाओं एवं केंद्रों में संचालित अनुसंधान एवं विकास कार्यों को एक मंच पर लाना और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करना इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य है। अनुसंधान विकास और प्रौद्योगिकी अंतरणों के दौरान आने वाली समस्याओं एवं चुनौतियां पर इस संगोष्ठी में विस्तार पूर्वक चर्चा की जाएंगी। अनुसंधान एवं विकास के कार्यों की महत्ता को आम भाषा हमारी भाषा एवं राजभाषा हिंदी द्वारा प्रचार प्रसार कर सामान्य नागरिक तक पहुंचाना भी इस संगोष्ठी का एक मुख्य उद्देश्य है।

मुख्य संरक्षक:

प्रोफेसर अभय करंदीकर, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग
श्री विश्वजीत सहाय, अपर सचिव एवं वित्तीय सलाहकार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग
श्री सुनील कुमार, अपर सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग
डॉ. मनीष कुमार नजा, निदेशक, एरीज, नैनीताल
श्रीमती ए. धनलक्ष्मी, संयुक्त सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग
डॉ. एम. मोहंती, प्रमुख स्वायत्त संस्थान प्रभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग

सह-संरक्षक:

श्री प्रदीप कुमार सिंह, निदेशक, स्वायत्त संस्थान विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग
डॉ. बृजेश कुमार, वैज्ञानिक-जी
डॉ. जीवन चन्द्र पाण्डे, वैज्ञानिक-एफ

संगोष्ठी आयोजन समिति:

एरीज नैनीताल की राजभाषा कार्यान्वयन समिति।